सप्ताहांत: योग, गौरव और नमन का दिन

यह सप्ताह बहुत गहमागहमी भरा और अनेक घटनाओं से परिपूर्ण रहा। सप्ताह के प्रारंभ में फिल्म अभिनेता सुशांत की विषम परिस्थितियों में आत्महत्या, फिर भारत चीन सीमा विवाद में हमारे बीस वीर जवानों की शहादत इस सप्ताह की प्रमुख घटनाएँ रहे ।इसके अतिरिक्त आज रविवार को योग दिवस, मित्र दिवस व इस साल का पहला और आखिरी सूर्यग्रहण दिवस है। इस प्रकार यह सप्ताह दुख, शोक, गौरव, नमन, हवन पूजन

माया नगरी की चकाचौंध के पीछे घने अंधेरे में गुम होते हुए फिल्मी सितारे

फिल्म अभिनेता सुशांत राजपूत द्वारा की गई आत्महत्या से एक बार फिर यह सच सामने आ गया है कि माया नगरी मुंबई की चकाचौंध के पीछे एक बहुत बड़ा अंधेरा है। इस अंधेरे का सामना कुछ लोग कर जाते हैं लेकिन कुछ लोग अवसाद का शिकार होकर मौत को गले लगा लेते हैं। इस साल अब तक चार कलाकार अवसादजनक स्थिति में मौत को गले लगा चुके हैं। सिने जगत

सप्ताहांत: नज़रिया अपना-अपना

बात है तो बहुत पुरानी, सन 1981 में, मैंने अपनी पत्नी और छोटे बच्चे के साथ माता वैष्णो देवी और जम्मू कश्मीर की यात्रा की। जब हम जम्मू से श्रीनगर जा रहे थे तो अचानक रास्ते में बहुत काली घटा छाई, बारिश होने लगी, बिजली कड़कने लगी और दिन में अंधेरा छा गया। हम लोग बहुत डर गए, और बेटा बहुत छोटा था, सर्दी के कारण उसकी भी नाक नीली

सप्ताहांत: कोरोना के साथ जीना सीखना है मरना नहीं

1 जून से अनलॉक-1 शुरू होने के साथ ही ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कोरोना भी अनलॉक हो गया हो। शुक्रवार 05 जून को इन पंक्तियों के लिखने के पिछले 24 घण्टों में देश में कोरोना के मामलों में जबरदस्त उछाल आया है। विगत 24 घंटे में 9 हजार 851 नए मामलों की पुष्टि हुई और 273 लोगों की मौत हुई है।अब देश में कुल मरीजों की संख्या 2

2 जून की रोटी का उपहास न उड़ाएं

हर साल 2 जून आते ही सोशल मीडिया पर 2 जून की रोटी का उपहास उड़ाते हुए मेसेज आना शुरू हो जाते हैं। कोई कहता है कि दो जून को रोटी जरूर खाना क्योंकि 2 जून की रोटी बड़े नसीब वालों को मिलती है तो कोई फरमा रहे हैं कि केवल दो जून को ही रोटी खाना, यह फिर अगले साल ही मिलेगी। दो जून की रोटी का मतलब दो

सप्ताहांत: तेरा दुख और मेरा दुख

अभी कुछ दिनों पूर्व एक पत्रकार साथी का कोरोना बीमारी के कारण दुःखद निधन हो गया था। मैंने उनको श्रद्धांजलि देते हुए फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी कि “आज मैं बहुत दुखी हूं।” मेरी पोस्ट को पढ़कर मेंरे एक साथी फोन आया कि कोरोना से सैकड़ों लोग रोज मर रहे हैं, आपने कभी दुख व्यक्त नहीं किया पर आज आप ज्यादा दुखी क्यों हैं? यह एक ऐसा सवाल था

लघुकथा गोष्ठी

साहित्यिक एवं सांस्कृतिक पत्रिका संस्थान संगम के तत्वावधान में एक लघु कथा ऑडियो गोष्ठी का आयोजन किया गया ।गोष्ठी की अध्यक्षता की तुलसी साहित्य अकादमी भोपाल के अध्यक्ष डॉ मोहन तिवारी आनंद ने, व मुख्य अतिथि बेंगलुरु की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ उषा श्रीवास्तव थी। गोष्ठी के प्रारंभ में सरस्वती वंदना की वरिष्ठ कवयित्री डॉ शशि तिवारी ने। संस्था का परिचय वरिष्ठ साहित्यकार डॉ राजेंद्र मिलन ने दिया एवं सभी का

सप्ताहांत: यह पलायन नहीं है

घटना काफी पुरानी है। एक कार्यक्रम का संचालन करते समय एक अतिथि का जीवन परिचय बताते हुए मैंने कुछ ऐसा बताया कि शिक्षा पूरी करने के उपराँत वह दूसरे प्रदेश में पलायन कर गए। अतिथि महोदय थोड़ी देर में संयोजक को बता कर कार्यक्रम बीच में छोड़ कर चले गए। बाद में मुझे बताया गया कि मेरे द्वारा उनके परिचय में पलायन की बात कहने से वह नाराज थे। पलायन

सप्ताहांत: आओ! हम बनाएं, सकारात्मक वातावरण

लॉकडाउन में घरों में बंद रहने के कारण और कोरोना से संबंधित दुःखद खबरें देख-पढ़ कर ज्यादातर लोग अवसादग्रस्त हो रहे हैं। गुस्सा, चिड़चिड़ापन की शिकायतें आ रही हैं। ऐसी दशा में कुछ लोग आत्मघाती कदम भी उठा लेते हैं और अपने पूरे परिवार को तबाह कर लेते हैं। यह सब सकारात्मक वातावरण के अभाव में हो रहा है। यदि हम सकारात्मक वातावरण में रहें और सकारात्मक वातावरण न होने

सप्ताहांत: माँ के आँचल में सुख स्वर्ग सा, माँ के चरणों में चारों धाम

बात उन दिनों की है जब मैं बैंक में था। हमारे एक महाप्रबंधक महोदय दौरे पर आए और उन्होंने अपने उद्बोधन के अंत में सभी से एक प्रश्न किया, “पति पत्नी ने आपस में या महिला पुरुष मित्रों ने एक दूसरे को अनेक बार आई लव यू बोला होगा, परंतु यह बताइए कि आप में से कितने लोगों ने अपनी माँ को आई लव यू बोला है?” उनके इस सवाल

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