सप्ताहांत: रहिमन पानी राखिए

रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून ।पानी गए न उबरै, मोती मानुष चून ।। जिस समय रहीमदास जी ने इस दोहे की रचना की थी, उनको कल्पना भी न होगी कि इक्कीसवीं सदी में उनकी लिखी पँक्तियाँ इतनी महत्वपूर्ण हो जाएंगी। जल संरक्षण के प्रति उदासीनता ने पीने योग्य स्वच्छ जल की इतनी कमी कर दी है कि पूरा विश्व इस विषय को ले कर चिंतित है।संयुक्त राष्ट्र के

जल संरक्षण व पर्यावरण गोष्ठी

जल संरक्षण व पर्यावरण की रक्षा को समर्पित संस्था जलाधिकार फाउंडेशन ने 07 दिसंबर को सूर सरोवर प्रकृति अध्ययन केंद्र में गोष्ठी आयोजित की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल थे। पर्यावरणविद व वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना,सुरेखा यादव,वन संरक्षण अधिकारी आनंद कुमार,बैजू,डी पी सिंह, अवधेश उपाध्याय जी जैसे विद्वजनों की उपस्थिति में मुझे भी अपने विचार व्यक्त करने का

पानी दो पानी दो हमें प्यास लगी है पानी दो

खेंचू (हैंड पंप), सूखा पड़ा है, प्यासे लोग पानी को तरस रहे हैं। 19 अगस्त को राजेन्द्र रघुवंशी स्मृति समारोह के दौरान शहीद स्मारक पर #पानीदोपानीदोहमेंप्यासलगीहैपानीदो नृत्य नाटिका के अंतर्गत सूखा हैंड पम्प बने हुए बच्चे।बड़ा ही सजीव चित्रण, वर्तमान की ज्वलन्त समस्या को वर्णित करके उसके समाधान का संदेश दिया। नाट्य निर्देशक व उनकी टीम को बधाई। Give Water, Give Water, We are Thirsty, Please Give Water Children made