ताज की धवल छवि

दिवस का अवसान समीप था।गगन था कुछ लोहित हो चला।तरु-शिखा पर थी अब राजती।कमलिनी-कुल-वल्लभ की प्रभा॥ सुप्रसिद्ध साहित्य मनीषी हरिऔध जी ने यद्यपि यह पँक्तियाँ ताजमहल को लक्ष्य करके नहीं लिखीं थीं परँतु सूर्यास्त का अलौकिक वर्णन जिस प्रकार किया गया है उसके आलोक में ताज की धवल छवि का आजकल जिक्र अवश्य हो रहा है। शाम के साढ़े पाँच बजे जब दिवस का अवसान होता है, आसमान रक्ताभ लालिमा

आगरा में सनसनी फैला रहा है ड्रोन

आगरा में ताजमहल के ऊपर ड्रोन उड़ाने की घटनाएं सनसनी फैला रही हैं। पिछले कई माह में ताज की 500 मीटर की यलो जोन के प्रतिबन्धित क्षेत्र में ड्रोन उड़ाने की घटनाओं ने सुरक्षा अधिकारियों में अफरा तफरी मचाई है। फतेहपुर सीकरी में भी यदा कदा ऐसी घटनाएं होती रही हैं। प्रायः प्रतिबंधित क्षेत्र में ड्रोन उड़ाने की गलती विदेशी पर्यटक ही करते हैं क्योंकि उन्हें नियमों की जानकारी नहीं

सप्ताहांत: यह धुंध कब छटेगी?

यह पूरा सप्ताह वातावरण में छाई धुंध को ही समर्पित हो गया। धुंध क्यों छाई है, इसके लिए जिम्मेवार कौन हैं, उपाय किए गए या नहीं किए गए, दिल्ली में ओड ईवन और स्वास्थ्य इमरजेंसी, पंजाब हरियाणा में पराली का जलना आदि आदि जितने सारे विषय थे सब धुंध के इर्द गिर्द ही घूमते रहे। धुंध दो शब्दों के मेल से बनी है – धुंआ (Smoke) और कोहरा (Fog) =

अब ताजमहल बदनाम कर रहा आगरा को

आगरा को देश ही नहीं विश्व के मानचित्र पर ताजमहल के कारण ही जाना जाता है। पूर्वोत्तर, दक्षिण और कश्मीर के प्रान्तों को तो छोड़िए बिहार झारखंड के लोग भी आगरा को नहीं पहचानते जब तक ताजमहल का जिक्र न किया जाए। ताजमहल के कारण देश विदेश के आम पर्यटक ही नहीं, जो राष्ट्राध्यक्ष या वी वी आई पी भारत भ्रमण पर आते हैं तो आगरा आ कर ताजमहल देखने

ये चमकी आखिर है क्या

यों तो शरद पूर्णिमा पूरे देश में किसी न किसी रूप में मनाई जाती है परंतु ब्रज का क्षेत्र होने व विश्वविख्यात ताजमहल के कारण शरद पूर्णिमा का आगरा में महत्व ज्यादा है और पूरे वर्ष लोग इसका इंतजार करते हैं। यह तो सर्वविदित ही है कि आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा का चाँद इस दिन पूरी 16 कलाओं से युक्त होता है और उसकी किरणें धरा को शीतलता प्रदान

आगरा में है एक बेबी ताज भी

आगरा में विश्वप्रसिद्ध ताजमहल तो है ही,परंतु आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यहाँ एक बेबी ताज भी है। यह है एत्मादुद्दौला। शहर के मध्य यमुना किनारे बना हुआ यह स्मारक ताजमहल जैसी आकृति का नजर आता है। धवल संगमरमरी स्मारक होने के कारण इसे “बेबी ताज” के नाम से भी पुकारा जाता है। यहां के बाग, पीट्रा ड्यूरा पच्चीकारी, व कई घटक ताजमहल से मिलते हुए हैं। यह स्मारक