साहित्यकार स्व. सर्वज्ञ शेखर गुप्ता की पुस्तक “मेरे इक्यावन अभिमत” का विमोचन

साहित्यकार स्व. सर्वज्ञ शेखर गुप्ता की पुस्तक “मेरे इक्यावन अभिमत” का विमोचन उत्तराखंड की महामहिम राज्यपाल श्रीमती बेबीरानी मौर्य जी ने किया.. विमोचन समारोह (वर्चुअल) समारोह की कुछ झलकियाँ Media Coverage

सप्ताहांत: रहिमन पानी राखिए

रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून ।पानी गए न उबरै, मोती मानुष चून ।। जिस समय रहीमदास जी ने इस दोहे की रचना की थी, उनको कल्पना भी न होगी कि इक्कीसवीं सदी में उनकी लिखी पँक्तियाँ इतनी महत्वपूर्ण हो जाएंगी। जल संरक्षण के प्रति उदासीनता ने पीने योग्य स्वच्छ जल की इतनी कमी कर दी है कि पूरा विश्व इस विषय को ले कर चिंतित है।संयुक्त राष्ट्र के

सप्ताहांत: बुरा जरूर मानो, होली है

“बुरा न मानो होली है” का उद्घोष कब शुरू हुआ, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। पर होली पर बुरा न मानो की बात दशकों से कही जा रही है। प्राचीन काल में मनोरंजन के साधन कम थे। विभिन्न पर्व, त्योहार आध्यात्मिक संस्कारों के प्रतीक तो होते ही थे, आमोद-प्रमोद, हास-परिहास का भी माध्यम होते थे। होली का पर्व ऐसा ही है जब बुरा न मानो के नाम पर हुल्लड़बाजी,

नववर्ष 2021: आओ नया संकल्प करें

नया साल 2021 आ गया है। नए वर्ष पर नया रेसोल्यूशन या संकल्प करने की भी एक प्रथा चली आ रही है। यह प्रथा अच्छी है । सभी को कोई भी एक बुराई छोड़ने और एक नया अच्छा काम शुरू करने का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प की प्रक्रिया में एक बात का ध्यान रखना आवश्यक है। संकल्प कठिन नहीं होना चाहिए। जो काम आप छोड़ना चाहते हैं वो ऐसा हो

छठ मैया सब का कल्याण करें…

बैंकिंग सेवा में अपने झारखण्ड प्रवास के दौरान मैंने प्रकृति प्रेम, पर्यावरण रक्षा व अस्ताचली भगवान सूर्य की उपासना करने वाले चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा के महत्व को समझा व आत्मसात किया। सभी को इस परमपावन महापर्व की बधाई !!

क्या हिंदी दिवस मनाना एक विडम्बना है?

सर्वप्रथम आप सभी को हिंदी दिवस की बधाई! निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।। आधुनिक हिंदी साहित्य के जन्मदाता भारतेंदु हरिश्चंद्र की इन पँक्तियों के अनुरूप निज भाषा के प्रचार प्रसार व संरक्षण के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हमारा देश हिंदी दिवस का आयोजन करता

सप्ताहांत: मेरे गुरु जी

जिस समय मैं यह पंक्तियाँ लिख रहा हूँ, आज शिक्षक दिवस है। तथापि इस आलेख के प्रकाशित होने तक शिक्षक दिवस निकल चुका होगा। मैं इस पुनीत अवसर पर अपने प्राइमरी शिक्षक जिन्होंने सबसे पहले मेरे को एक प्राइमरी विद्यालय में शिक्षा दी, वह छोटे से विद्यालय के प्रधानाचार्य थे, आदरणीय चंदन लाल गुप्ता जी को याद करना चाहता हूँ। उन्होंने ही मेरे जीवन की शैक्षिक आधारशिला रखी जो कि

सप्ताहांत: मनोज सिन्हा जी से मेरी पहली मुलाकात

2019 के लोकसभा चुनाव में यदि मैंने किसी प्रत्याशी के परिणाम पर सबसे ज्यादा निगाह रखी थी तो वह थे तत्कालीन रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा। लेकिन जब परिणाम आया तो मुझे आश्चर्य मिश्रित दुख हुआ। गाजीपुर संसदीय सीट से वह भारी मतों से पराजित हुए थे। मोदी सरकार के 9 मंत्रियों में से वह अकेले ही थे जिन्हें हार का सामना करना पड़ा। उस समय मेरा त्वरित ऑब्जरवेशन यही था

सप्ताहांत: क्या आपको पता है कि आप को सब कुछ पता है?

मैं आज अपनी बात शुरू करुँ, उससे पूर्व मैं सभी सुधी पाठकों, शुभचिंतकों व अपने उन मित्रों का आभार प्रकट करना चाहता हूँ जो सप्ताहांत पढ़ने के उपरांत मुझे फोन करके या मेरे व्हाट्सएप पर या मेरे फेसबुक पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं और उत्साहवर्धन करते हैं। मैं ज्यादा कहूंगा तो आत्मप्रशंसा ही माना जाएगा। बस इतना अवश्य कहना चाहता हूँ कि बहुत लोग सप्ताहांत की प्रतीक्षा करते हैं, ऐसा

सप्ताहांत: ऑनलाइन शिक्षा व बच्चों में संस्कारों का हनन

कोरोना, भारत-चीन सीमा विवाद, विकास दुबे और राजस्थान में राजनीतिक उठापटक के बीच हम एक ऐसे विषय को भूल गए जो इस समय बहुत प्रासंगिक है। वह है बच्चों में नीति व सांस्कृतिक संस्कारों का पोषण। लॉक डाउन की वजह से व बाद में अनलॉक डाउन के समय में भी छोटे बच्चों को एवं बड़े विद्यार्थियों को भी ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। ऑनलाइन शिक्षा का जितना लाभ है

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