भूल न जाना होली की ठिठोली में

रंगों की उड़ेगी बौछारघूमेंगे हुरियारी टोली मेंअबीर गुलाल की होगी बहारहोली की मस्त ठिठोली मेंभीगेंगे पानी में हमसबरंग बरसेगा चोली में गले मिलना शिकवे मिटानाभूल न जानाहोली की ठिठोली में खूनी होली खेल रहेआतंकी पड़ोस से आ केशहीद हो रहे सपूत भारत माँ केछाती पर गोली खा केतोप चलाओ मिसाइल दागोकुछ नहीं रखा वार्ता बोली में लेना है भीषण बदला उनसेभूल न जानाहोली की ठिठोली में जो भी दीखे लाचारगरीब

सप्ताहांत: बुरा जरूर मानो, होली है

“बुरा न मानो होली है” का उद्घोष कब शुरू हुआ, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। पर होली पर बुरा न मानो की बात दशकों से कही जा रही है। प्राचीन काल में मनोरंजन के साधन कम थे। विभिन्न पर्व, त्योहार आध्यात्मिक संस्कारों के प्रतीक तो होते ही थे, आमोद-प्रमोद, हास-परिहास का भी माध्यम होते थे। होली का पर्व ऐसा ही है जब बुरा न मानो के नाम पर हुल्लड़बाजी,

जिसकी अंटी में पैसा है उसकी होली है

आज देश के विख्यात व आगरा नगर के लब्धप्रतिष्ठ कवियों व शायरों के साथ मंच साझा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अवसर था भारतीय नाट्य कला मंच द्वारा नागरी प्रचारिणी के मानस भवन में आयोजित होली मिलन समारोह व काव्य गोष्ठी का। कार्यक्रम की अध्यक्षता की वरिष्ठ ग़ज़लकार, साहित्यकार डॉ त्रिमोहन तरल ने। मुख्य अतिथि थे प्रो. सोम ठाकुर। डॉ शशि तिवारी, अशोक रावत, राजकुमार रंजन, राजबहादुर राज, शिवशंकर शर्मा,

ब्रज में 40 दिन के होली उत्सव की धूम शुरू: जानिए कब कब क्या होगा

चालीस दिन तक चलने वाला ब्रज होली महोत्सव शुरू हो चुका है। इसी के साथ होली के कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए देश और दुनिया से श्रद्धालु मथुरा पहुंचने लगे हैं। ब्रज में बसंत पंचमी पर होली का ढांडा गढ़ने के साथ ही ब्रज के लगभग सभी मंदिरों में होली महोत्सव की शुरुआत हो जाती है। बरसाना में होने वाली विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली के बारे में कौन नहीं