गणतंत्र पर भीड़तंत्र का शर्मनाक कृत्य

2021 का गणतंत्र दिवस मस्तक उन्नत करने की बजाए सर को शर्म से झुकाने के लिए भारी मन से याद किया जाएगा। 26 जनवरी को दिल्ली में विशेषकर लालकिले पर जो दुर्भाग्यशाली घटनाएँ हुईं वह शर्मसार करने वाली हैं, प्रत्येक देशभक्त का खून खौलाने वाली हैं।अभी तक विश्वास नहीं हो पा रहाकि कोई भारतीय ऐसा भी कर सकता है। भारत की आन बान शान की पहचान लालकिले पर अशोभनीय ढंग

“हम भारत के लोग”

हम भारत के लोग, वैसे तो एक बहुत ही साधारण वाक्य है लेकिन जब इस वाक्य को भारत के संविधान की प्रस्तावना के साथ पढ़ा जाता है तो छाती गर्व से फूल जाती है, मस्तक गर्व से उन्नत हो जाता है। 26 नवंबर 1949 को स्वीकृत व आज ही के दिन 1950 से लागू हमारे संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है – हम भारत के लोग, भारत को एक

26 जनवरी को क्या करेंगे, तिरँगा झंडा फहरायेंगे या करेंगे ध्वजारोहण?

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर तिरँगा झंडा फहराने की तैयारियाँ पूरी हो गईं हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडा फहराने में क्या अंतर होता है। संविधान के मुताबिक, देश में कोई भी व्यक्ति कभी भी, कहीं भी राष्ट्रीय ध्वज बिना किसी दबाव के राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस ऐसे दो उत्सव हैं, जब पूरा देश

त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र?

भारत में तीन राष्ट्रीय पर्व मनाए जाते हैं, गाँधी जयंती, स्वतँत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस। 26 जनवरी को सारा राष्ट्र गणतंत्र दिवस मना रहा है। मैं शुरू से ही इस बात का पक्षधर हूँ कि राष्ट्रीय पर्वों पर अपने गौरवशाली इतिहास को याद किया जाए, अच्छे माहौल में धूमधाम से मनाया जाए जैसे हम धार्मिक पर्वों व अपने व्यक्तिगत दिवस मनाते हैं। परँतु आज आए एक समाचार ने सारे उत्साह