सप्ताहांत: योग, गौरव और नमन का दिन

यह सप्ताह बहुत गहमागहमी भरा और अनेक घटनाओं से परिपूर्ण रहा। सप्ताह के प्रारंभ में फिल्म अभिनेता सुशांत की विषम परिस्थितियों में आत्महत्या, फिर भारत चीन सीमा विवाद में हमारे बीस वीर जवानों की शहादत इस सप्ताह की प्रमुख घटनाएँ रहे ।इसके अतिरिक्त आज रविवार को योग दिवस, मित्र दिवस व इस साल का पहला और आखिरी सूर्यग्रहण दिवस है। इस प्रकार यह सप्ताह दुख, शोक, गौरव, नमन, हवन पूजन

सप्ताहांत: नज़रिया अपना-अपना

बात है तो बहुत पुरानी, सन 1981 में, मैंने अपनी पत्नी और छोटे बच्चे के साथ माता वैष्णो देवी और जम्मू कश्मीर की यात्रा की। जब हम जम्मू से श्रीनगर जा रहे थे तो अचानक रास्ते में बहुत काली घटा छाई, बारिश होने लगी, बिजली कड़कने लगी और दिन में अंधेरा छा गया। हम लोग बहुत डर गए, और बेटा बहुत छोटा था, सर्दी के कारण उसकी भी नाक नीली

2 जून की रोटी का उपहास न उड़ाएं

हर साल 2 जून आते ही सोशल मीडिया पर 2 जून की रोटी का उपहास उड़ाते हुए मेसेज आना शुरू हो जाते हैं। कोई कहता है कि दो जून को रोटी जरूर खाना क्योंकि 2 जून की रोटी बड़े नसीब वालों को मिलती है तो कोई फरमा रहे हैं कि केवल दो जून को ही रोटी खाना, यह फिर अगले साल ही मिलेगी। दो जून की रोटी का मतलब दो

सप्ताहांत: यह पलायन नहीं है

घटना काफी पुरानी है। एक कार्यक्रम का संचालन करते समय एक अतिथि का जीवन परिचय बताते हुए मैंने कुछ ऐसा बताया कि शिक्षा पूरी करने के उपराँत वह दूसरे प्रदेश में पलायन कर गए। अतिथि महोदय थोड़ी देर में संयोजक को बता कर कार्यक्रम बीच में छोड़ कर चले गए। बाद में मुझे बताया गया कि मेरे द्वारा उनके परिचय में पलायन की बात कहने से वह नाराज थे। पलायन

समझिए लोकल का मतलब ग्लोकल के साथ

12 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संदेश को 20 लाख करोड़ के पैकेज के अलावा आत्मनिर्भरता पर केंद्रित रखा। उन्होंने लोकल सामान का उत्पादन करने, खरीदने और उसके प्रसार के लिए वोकल अर्थात मुखर रहने की अपील की। बड़ी सावधानी के साथ अपने पूरे भाषण में उन्होंने ‘स्वदेशी’ शब्द का प्रयोग ही नहीं किया। चाहते तो वह भी लोकल की बजाय स्वदेशी कह सकते थे।

सप्ताहांत: आओ! हम बनाएं, सकारात्मक वातावरण

लॉकडाउन में घरों में बंद रहने के कारण और कोरोना से संबंधित दुःखद खबरें देख-पढ़ कर ज्यादातर लोग अवसादग्रस्त हो रहे हैं। गुस्सा, चिड़चिड़ापन की शिकायतें आ रही हैं। ऐसी दशा में कुछ लोग आत्मघाती कदम भी उठा लेते हैं और अपने पूरे परिवार को तबाह कर लेते हैं। यह सब सकारात्मक वातावरण के अभाव में हो रहा है। यदि हम सकारात्मक वातावरण में रहें और सकारात्मक वातावरण न होने

सप्ताहांत: माँ के आँचल में सुख स्वर्ग सा, माँ के चरणों में चारों धाम

बात उन दिनों की है जब मैं बैंक में था। हमारे एक महाप्रबंधक महोदय दौरे पर आए और उन्होंने अपने उद्बोधन के अंत में सभी से एक प्रश्न किया, “पति पत्नी ने आपस में या महिला पुरुष मित्रों ने एक दूसरे को अनेक बार आई लव यू बोला होगा, परंतु यह बताइए कि आप में से कितने लोगों ने अपनी माँ को आई लव यू बोला है?” उनके इस सवाल

पत्रकार जीवन की कुछ बातें आज अचानक याद आ गईं

आज एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल ने अति उत्साह में, मेरे विचार से ब्लंडर कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का भगवान बुद्ध जयंती पर देश को संबोधन सुबह 09 बजे होना था, परंतु चैनल ने वह रेकॉर्डिंग 08 बज कर 35 मिनिट पर ही दिखा दी। 09 बजे पुनः प्रसारण किया गया, जब सारे देश में संबोधन एक साथ हो रहा था। यद्यपि यह कोई अपराध नहीं है, बस प्रक्रिया

हरि बोल, हरि, हरि हरि बोल

नारी शक्ति का पूज्य उपासकबेटियों का है रखता मान।नदियों को भी माँ मानतादेवियों का करता गुणगान।।माँ भारती को नमन करताराष्ट्रभाषा का करता सम्मान।हिंदी बिंदी भारत माँ कीऐसी संस्कृति का देता ज्ञान।।वीर शहीदों के रक्त से सिंचितआजादी का पुष्पित उद्यान।राष्ट्रवीरों को नमन करतामेरा प्यारा हिंदुस्तान।।सीमा पर खड़े हैं सैनिकबहादुरी से सीना खोल,हरि बोल, हरि, हरि हरि बोल। राष्ट्रद्रोही कुछ सक्रिय हो रहेरहना उनसे सावधान।संस्कृति, धर्म की रक्षा करनाहो अपना कर्तव्य महान।।व्यभिचारी,

सप्ताहांत: बहुत फायदे है खुद काम करने के

“हाय राम! जरा देखना कितना कूड़ा है दीवान के नीचे, बाई को कितनी बार बोला है जरा झाडू से अंदर तक सफाई किया कर, पर सुनती ही नहीं है। इधर उधर दो चार हाथ मारे, बस हो गया काम। धीरे-धीरे ही सही, आज खुद मैं ही कर लेती हूँ पूरे घर की सफाई।” लॉकडाउन के दौरान जब बाई को छुट्टी दे दी, यह उस दिन का वाकया है। और अब