हरि बोल, हरि, हरि हरि बोल

सत्य, अहिंसा, प्रेम, शांति
सर्वधर्म का रखता मान।
परोपकार, परमार्थ पुजारी
ऋषि, मुनियों की है पहचान।।
राष्ट्रभक्ति की अविरल धारा
संपूर्ण देश में एक समान।
कश्मीर से कन्याकुमारी
एक देश, और एक विधान।।
एक ध्वज तिरँगा जिसका
राष्ट्र की आन बान और शान।
सीना ताने खड़ा गर्व से
मेरा प्यारा हिंदुस्तान।।
सभ्यता संस्कृति हमारी
अक्षय अक्षुण्य और अनमोल,
हरि बोल, हरि, हरि हरि बोल।

नारी शक्ति का पूज्य उपासक
बेटियों का है रखता मान।
नदियों को भी माँ मानता
देवियों का करता गुणगान।।
माँ भारती को नमन करता
राष्ट्रभाषा का करता सम्मान।
हिंदी बिंदी भारत माँ की
ऐसी संस्कृति का देता ज्ञान।।
वीर शहीदों के रक्त से सिंचित
आजादी का पुष्पित उद्यान।
राष्ट्रवीरों को नमन करता
मेरा प्यारा हिंदुस्तान।।
सीमा पर खड़े हैं सैनिक
बहादुरी से सीना खोल,
हरि बोल, हरि, हरि हरि बोल।

राष्ट्रद्रोही कुछ सक्रिय हो रहे
रहना उनसे सावधान।
संस्कृति, धर्म की रक्षा करना
हो अपना कर्तव्य महान।।
व्यभिचारी, बलात्कारी, दुष्ट
भ्रष्टाचारी और बेईमान।
देश को बदनाम कर रहे
दुश्मनों का करते गुणगान।।
सबक सिखाते इनको अच्छा
सेना, पुलिस के वीर जवान।
शीश कटा देंगे हम अपना
रखने राष्ट्र की इज़्ज़त, शान।।
जयतु, जयतु अविजित रहे
मेरा प्यारा हिंदुस्तान।।
बुलंद है उद्घोष हमारा
सुनलो दुश्मन कान को खोल,
हरि बोल, हरि, हरि हरि बोल।

– सर्वज्ञ शेखर

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