सप्ताहांत: एग्जिट पोल – मतदाता की नब्ज पर कमजोर पकड़

बिहार में हाल में संपन्न चुनावों में एग्जिट पोल की विफलता ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि आजकल मतदाता बहुत होशियार हो गया है और उसके मन की बात को उगलवाना आसान नहीं रह गया है। विशेषकर युवा व महिला मतदाताओं को समझना अब मुश्किल है। 07 नवंबर को मतदान का आखिरी चरण खत्म होते ही एग्जिट पोल की बाढ़ सी आ गई। हिंदी व अंग्रेजी

सप्ताहांत: पाकिस्तानी खुलासे के बाद…

पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने अपनी संसद में पुलवामा हमले को लेकर जो खुला कबूलनामा किया, उससे आतंकवाद के इतिहास की इस वीभत्स घटना के पीछे की साजिश से पूरी तरह पर्दा उठ गया। अब यह पूरी तरह सिद्ध हो गया है कि इस घटना में पाकिस्तान का ही हाथ था जिसमें हमारे 43 वीर जवान शहीद हो गए थे। आतंकवादी घटनाओं में पाकिस्तान के हाथ की आशंका हमेशा

सप्ताहांत: लोक संवाद में भाषा का गिरता स्तर

बिहार में आजकल विधानसभा चुनाव व कई राज्यों में उपचुनाव हो रहे हैं। चुनावी भाषणों में नेता मर्यादा की सीमा लाँघने में लगे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे अभद्र व असंसदीय भाषा बोलने की प्रतियोगिता चल रही हो। इस संबंध में एक पुराना छोटा प्रसंग याद आ रहा है – एक बार एक राजा अपने सेनापति और सिपाही के साथ शिकार करने जंगल में गए। लेकिन अंधेरा होने पर

सप्ताहांत: रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ

सप्ताहांत की 100वीं कड़ी आज मैं बहुत खुश हूँ आपके प्रिय स्तंभ सप्ताहांत की श्रंखला का 100 वाँ लेख प्रस्तुत करते हुए। आप सभी पाठकों, शुभचिंतकों व प्रिय स्वराज्य टाइम्स के संपादक मंडल के स्नेहवश ये 100 सप्ताह कब व्यतीत हो गए पता भी नहीं लगा। 100 सप्ताह बहुत ज्यादा नहीं होते तो कम भी नहीं हैं। यदाकदा उत्पन्न हुई विषम परिस्थितियों के बावजूद सप्ताहांत का निरंतर और अनवरत प्रकाशन

सप्ताहांत: टी आर पी की आड़ में

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की टी आर पी की दुनिया में आजकल भूचाल आया हुआ है। जिनसे पूरी ईमानदारी और सच्चाई की अपेक्षा है वही संदेह के घेरे में आ रहे हैं। पता ही नहीं लग पा रहा कि कौन कितना सच बोल रहा है। टी आर पी का मतलब है टेलिविजन रेटिंग पॉइंट। इसके माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि किसी टीवी चैनल या किसी शो को कितने लोगों

हे राम! गांधी के भारत में महिलाओं से इतनी क्रूरता

जब भी 2 अक्टूबर आता है, बापू के रामराज्य की कल्पना मन- मस्तिष्क में चलचित्र की भांति घूम जाती है। परंतु इस बार की गांधी जयंती बापू के रामराज्य के सर्वथा विपरीत नारी अत्याचार की खबरें ले कर आई। बापू ने सदैव नारी सम्मान, सुरक्षा, शिक्षा पर बल दिया। वह महिलाओं को अबला कहने का घोर विरोध करते थे। वह महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले अधिक सुदृढ़ और सहृदय मानते

सप्ताहांत: गरीब की थाली – छेद वाली

थाली एक बार फिर चर्चा में है। और इस बार थाली की चर्चा हो रही है, “जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करने” की उक्ति को लेकर। “जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करने” का तात्पर्य है कृतघ्नता, एहसान फरामोशी। अर्थात जिसने आपके साथ अच्छा किया, उसी के साथ बुरा बर्ताव करना। यह तो अब एक सामान्य सी बात हो गई है। आजकल जहाँ सामाजिक व

क्या हिंदी दिवस मनाना एक विडम्बना है?

सर्वप्रथम आप सभी को हिंदी दिवस की बधाई! निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।। आधुनिक हिंदी साहित्य के जन्मदाता भारतेंदु हरिश्चंद्र की इन पँक्तियों के अनुरूप निज भाषा के प्रचार प्रसार व संरक्षण के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हमारा देश हिंदी दिवस का आयोजन करता

सप्ताहांत: मेरे गुरु जी

जिस समय मैं यह पंक्तियाँ लिख रहा हूँ, आज शिक्षक दिवस है। तथापि इस आलेख के प्रकाशित होने तक शिक्षक दिवस निकल चुका होगा। मैं इस पुनीत अवसर पर अपने प्राइमरी शिक्षक जिन्होंने सबसे पहले मेरे को एक प्राइमरी विद्यालय में शिक्षा दी, वह छोटे से विद्यालय के प्रधानाचार्य थे, आदरणीय चंदन लाल गुप्ता जी को याद करना चाहता हूँ। उन्होंने ही मेरे जीवन की शैक्षिक आधारशिला रखी जो कि

सप्ताहांत: सतर्कता ही एकमात्र रास्ता है

कोरोना के विरुद्ध युद्व अभी जारी है। देश में अब बहुत कुछ अनलॉक हो चुका है। कुछ अपवादों को छोड़कर लॉकडाउन का भारत की जनता ने समझदारी से व दृढ़ता से पालन किया। इसी लिए हमारे देश में अन्य देशों की अपेक्षा इस महामारी का प्रसार कम हो पाया। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक कुल मरीज़ों की संख्या 3461240 थी। कोरोना के कारण मरने वालों की संख्या 62173 है।