सप्ताहांत: गरीब की थाली – छेद वाली

no money

थाली एक बार फिर चर्चा में है। और इस बार थाली की चर्चा हो रही है, “जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करने” की उक्ति को लेकर। “जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करने” का तात्पर्य है कृतघ्नता, एहसान फरामोशी। अर्थात जिसने आपके साथ अच्छा किया, उसी के साथ बुरा बर्ताव करना। यह तो अब एक सामान्य सी बात हो गई है। आजकल जहाँ सामाजिक व सांस्कृतिक मूल्यों का अवसान हो चुका है, संवेदनशीलता का दाह संस्कार हो चुका है, ऐसी परिस्थितियों में थाली में छेद करने वालों की संख्या बहुत बढ़ गई है। हम बॉलीवुड में थाली में छेद पर चल रही जंग से हटकर कुछ अलग बात करना चाहते हैं। हमारा मानना यह है कि बढ़ती महंगाई के कारण थाली में छेद करने लायक कुछ बचा ही नहीं है। थाली खाली है। उसमें छेद करने से भी नीचे कुछ जाने वाला नहीं है।

महाराष्ट्र की राजनीति और बॉलीवुड की ताजा घटनाओं ने थाली को एक बार फिर प्रकाश में ला तो दिया है, लेकिन इन लोगों ने कभी यह नहीं सोचा कि इतनी बढ़ती महंगाई में आजकल गरीब आदमी की थाली तो खाली है। आटा भी महंगा है, सब्जियां भी महंगी है और मिर्च मसाले भी। सब कुछ इतना महंगा है कि थाली में खाना कम होता जा रहा है। गरीब की थाली में छेद करने की तो आवश्यकता ही नहीं रह गई है।

बढ़ती हुई महंगाई की दरों पर दृष्टिपात करें तो खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी ऊंची बनी हुई है। सरकार ने जुलाई माह के लिए खुदरा महंगाई के आंकड़े को संशोधित कर 6.73 फीसदी किया था, जो कि पहले 6.93 फीसदी था। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स डेटा के मुताबिक, जुलाई माह में खाद्य पदार्थों की खुदरा महंगाई 9.27 फीसदी रही थी। जुलाई के खाद्य महंगाई दर आंकड़े को भी संशोधित किया गया है। पूर्व में इसके 9.62 रहने का अनुमान जताया गया था, लेकिन अगस्त माह में यह मामूली रूप से कम होकर 9.05 फीसदी पर आ गई। रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की समीक्षा करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है।सरकार ने केंद्रीय बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति दो फीसदी घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर रखने का जिम्मा सौंपा है।

अगस्त 2020 में सब्जियों की खुदरा महंगाई 11.41 फीसदी रही, जो जुलाई में 11.29 फीसदी थी। अनाज व संबंधित उत्पादों की महंगाई घटकर 5.92 फीसदी पर आ गई। जुलाई में यह 6.96 फीसदी थी। मांस व मछली की खुदरा महंगाई अगस्त में 16.50 फीसदी रही, जो जुलाई में 18.81 फीसदी थी। दाल व उत्पादों के मामले में महंगाई कम होकर 14.44 फीसदी पर आ गई।जुलाई में यह 15.92 फीसदी थी। अंडा और फल श्रेणी में खुदरा महंगाई दर बढ़कर अगस्त में क्रमश: 10.11 फीसदी और 1 फीसदी हो गई। फ्यूल व लाइट सेगमेंट में खुदरा महंगाई बढ़कर 3.10 फीसदी हो गई, जो जुलाई में 2.80 फीसदी थी।

इस महंगाई ने गरीब की थाली में पहले ही इतने छेद कर दिये हैं कि और नए छेद करने की जगह ही नहीं बची है। मुंबई और बॉलीवुड के भक्तो जरा गरीबों की थाली की भी चिंता कर लो। कुछ ऐसा करो जिससे गरीब की थाली के छेद भरे जा सकें।

– सर्वज्ञ शेखर

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