सप्ताहांत: कोरोना के साथ जीना सीखना है मरना नहीं

stay home stay safe covid

1 जून से अनलॉक-1 शुरू होने के साथ ही ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कोरोना भी अनलॉक हो गया हो। शुक्रवार 05 जून को इन पंक्तियों के लिखने के पिछले 24 घण्टों में देश में कोरोना के मामलों में जबरदस्त उछाल आया है। विगत 24 घंटे में 9 हजार 851 नए मामलों की पुष्टि हुई और 273 लोगों की मौत हुई है।अब देश में कुल मरीजों की संख्या 2 लाख 26 हजार 770 है, जिसमें 6 हजार 348 लोगों की मौत हो चुकी है। इस कारण शुक्रवार को भारत कोरोना प्रभावित देशों की लिस्ट में इटली से आगे होकर छठे स्थान पर पहुंच गया। ऐसे में चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों को लगता है कि अगर हालात नियंत्रण से बाहर हुए तो लॉकडाउन फिर लगाना पड़ सकता है। उधर, भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान के एक सीनियर डॉक्टर ने यह कहकर सरकार पर नाराजगी प्रकट की कि महामारी से निपटने की रणनीति विशेषज्ञों के बजाए नौकरशाह बना रहे हैं।

देश में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों की बात की जाए, तो महाराष्ट्र में हालात काफी खराब हैं। यहां अब पीड़ितों की संख्या 80 हजार से ज्यादा है। वहीं, 24 घंटे में 139 नई मौतों के साथ अब मृतकों की संख्या 2710 हो गई है। राज्य में पिछले 20 दिनों से लगातार हर दिन दो हजार नए केस सामने आ रहे हैं। दूसरा नंबर तमिलनाडु का है, जहां एक दिन में अब अब तक के 1438 नए संक्रमित पाए गए हैं। इसी के साथ राज्य में अब पीड़ितों का आंकड़ा 28 हजार 694 पर पहुंच गया। तीसरे नंबर पर 26 हजार से ज्यादा केसों के साथ दिल्ली है। हालांकि, अगर तमिलनाडु और दूसरे राज्यों में मौत की तुलना की जाए, तो तमिलनाडु के हालात काफी बेहतर हैं। चौथे नंबर पर गुजरात की 1190 और तीसरे नंबर पर दिल्ली की 708 मौतों के मुकाबले तमिलनाडु में 235 लोगों की ही जान गई है। राहत की बात है कि कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। अब तक करीब 50 फीसदी यानी 1 लाख 9 हजार 462 लोग ठीक हो चुके हैं।अभी देश में 1 लाख 10 हजार 960 एक्टिव केस हैं।

पहले यह कहा जा रहा था कि हम कोरोना को हराएँगे, फिर कहा गया कि हम कोरोना को भगाएँगे, परंतु अब यह कहा जा रहा है कि कोरोना के साथ जीना सीखना होगा। लॉकडाउन को अनिश्चितकाल तक जारी रखना न तो संभव है और न व्यवहारिक ही। अर्थव्यवस्था की गिरती स्थिति, मजदूरों को रोजगार व जनजीवन को सामान्य बनाने के लिए लॉकडाउन को शनैःशनैः व चरणबद्ध ढंग से समाप्त करना ही है। परंतु इस सुविधा का कुछ लोग दुरुपयोग करके नियमों का अनुपालन नहीं कर रहे। यही कारण है जून के पहले 5 दिनों में इस महामारी ने और विकराल रूप धारण कर लिया। सामुदायिक संक्रमण की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

जहाँ तक कोरोना के साथ जीना सीखने का प्रश्न है, कोरोना से बचाव के लिए केवल पंच सूत्र हैं-बार-बार हाथ धोना, बाहर निकलने पर मास्क पहनना, दैहिक दूरी बनाए रखना, शरीर की रोग प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा बताया गया काढ़ा पीना और आरोग्य सेतु एप को मोबाइल में डाउनलोड करना। इसके अतिरिक्त कुछ नहीं करना। इतना तो अब सब सीख ही गए हैं, परंतु उनका अनुपालन करना हमारी आदत में नहीं आ पाया है। इन नियमों का तो पालन करना ही होगा अन्यथा इस महामारी से कैसे जीत जाएँगे हम।

यह ध्यान रखना होगा कि जब तक वैक्सीन नहीं आती, हमें कोरोना के साथ जीना सीखना है, मरना नहीं।

– सर्वज्ञ शेखर

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