कन्या का अपमान करने पर जहां पूरी बारात हो गई थी पत्थर की

है तो यह किवदंती ही, परन्तु भारत में बेटियों के सम्मान को प्रतिबिंबित करती हुई यह कथा इस बात का प्रतीक है कि आदि काल में भी उनकी स्थिति उतनी ही पूज्यनीय थी जितनी कि वर्तमान में अपेक्षित है। आगरा से लगभग 50 कि मी के अंतराल पर कस्बा सहपऊ है। यहां स्थित है माँ भद्रकाली देवी का विशाल मंदिर। कहा जाता है कि इसकी स्थापना महाभारत काल में हुई

साहित्य संगीत संध्या

12 मई को सुर आनन्द सभागार में साहित्य संगीत संध्या के अवसर पर काव्य पाठ का अवसर प्राप्त हुआ । वरिष्ठ कविगण डॉ राजेन्द्र मिलन, इंजीनियर सुरेंद्र बंसल, श्री सुशील सरित,श्री अशोक अश्रु, श्री शीलेन्द्र वशिष्ठ, श्री परमानन्द शर्मा, एलेश अवस्थी, श्रीमती सविता मिश्रा, श्रीमती रमा वर्मा, श्रीमती माया अशोक, प्रशांत देव मिश्र,प्रेम रजावत आदि का सानिध्य प्राप्त हुआ।

सप्ताहान्त – 12 मई, 2019

स्वराज्य टाइम्स, रविवार 12 मई 2019 नन्ही लोमड़ी तालाब पर पानी पी रही थी। शेर की निगाह पड़ गई,जीभ ललचाने लगी। सुबह का नाश्ता मिल गया। पहुंच गया बच्चे के पास और दहाड़ते हुए बोला मैं तुझे खा जाऊंगा। बच्चा गिड़गिड़ाया, क्यों हुजूर क्या ख़ता हो गई। शेर बोला तूने मुझे गाली दी है। बच्चा बोला नही सरकार मैंने आज तो किसी को कोई गाली नही दी। तो तीन महीने

आज करें विशेष पूजा और पाएं शत्रुओं पर विजय

आज 12 मई को अष्टमी है। यह अष्टमी तिथि इसलिये विशेष है कि आज माँ बगुलामखी जयन्ती भी है। वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है जिस कारण इसे मां बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है। बगला एक संस्कृत शब्द है जो वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ दुल्हन है, अर्थात दुल्हन की तरह आलौकिक सौन्दर्य और अपार शक्ति की स्वामिनी होने के

मेरी माँ

अपनी माँ के श्री चरणों मेंअभी भी जब बैठ जाता हूँसाठ साल पार हो गए परखुद को बचपन में पाता हूँ झुर्रियों वाले कांपते हाथजब फेरती हैं सर पर मेरेऔर सहलाती पीठ कोदुलार से माँ धीरे धीरे जन्नत में भी नही मिल सकताऐसा सुख अपरम्पारकोई परेशानी नही तो बेटाजब पूछतीं हैं बार बार मैं ठीक हूँ, कितना भी कह दूंनही मानती है वो कभीतेरी माँ हूँ सब जानती हूँबता क्या

कविगोष्ठी

सुर आनन्द और शब्दोत्सव के संयुक्त तत्वावधान में 10 मई को एक शानदार कविगोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता वयोवृद्ध साहित्यकार डॉ कुसुम चतुर्वेदी ने की। कार्यक्रम में वरिष्ठ कवियों डॉ त्रिमोहन तरल, राजेन्द्र वर्मा सजग, रमेश पण्डित, डॉ रुचि चतुर्वेदी, राजेन्द्र मिलन, अशोक अश्रु, सुशील सरित, इंजीनियर सुरेंद्र बंसल, भरतदीप माथुर, राकेश निर्मल, अलका अग्रवाल, मीनू आनन्द, कांची सिंघल, डा. सलीम अहमद एटवी, गया प्रसाद मौर्य, दीक्षा

जब भगवान जी ने मेरे प्रणाम का जवाब दिया

बड़ों को प्रणाम करना भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। यह नत–मस्तक होकर अभिवादन या नमस्कार करने का एक तरीका है। बचपन से ही माता पिता और गुरूजन पहली शिक्षा के रूप में प्रणाम करना ही सिखाते हैं। प्रणाम का सीधा संबंध प्रणत शब्द से है, जिसका अर्थ होता है विनीत होना, नम्र होना और किसी के सामने सिर झुकाना। प्राचीन काल से प्रणाम की परंपरा रही है। जब कोई

चुनावों में महाभारत

दुख, शोक, जब जो आ पड़े, सो धैर्य पूर्वक सब सहो, होगी सफलता क्यों नहीं कर्त्तव्य पथ पर दृढ़ रहो।।अधिकार खो कर बैठ रहना, यह महा दुष्कर्म है;न्यायार्थ अपने बन्धु को भी दण्ड देना धर्म है।इस तत्व पर ही कौरवों से पाण्डवों का रण हुआ,जो भव्य भारतवर्ष के कल्पान्त का कारण हुआ।।सब लोग हिलमिल कर चलो, पारस्परिक ईर्ष्या तजो,भारत न दुर्दिन देखता, मचता महाभारत न जो।। – मैथिलीशरण गुप्त आजकल चुनावों

भ्रम

तक्ष आज बहुत खुश था । उसे फेसबुक पर शिला नाम की एक लड़की ने फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी। तुरन्त उसने स्वीकार भी कर ली। धीरे धीरे दोनों एक दूसरे की पोस्ट लाइक करने लगे। कमेंट्स भी शुरू हो गए। तक्ष का शिला की ओर झुकाव बढ़ता चला गया। वह जानबूझ कर फेसबुक पर रोमांटिक कविताएं और शायरियां डालने लगा। शिला भी दिलखोल कर उसकी लेखनी की तारीफ करती और

पानी रे पानी – आगमन प्रथम पुरस्कार

पानी रे पानी,कितना बचा है आंखों में… साहित्यिक सांस्कृतिक फेसबुक समूह आगमन एक खूबसूरत शुरूआत , द्वारा आयोजित साप्ताहिक प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त रचना… पानी रे पानी पानी, दो अक्षरों का यह शब्द केवल एक शब्द ही नही वरन समस्त संसार की जीवन धारा है। केवल यह संशय सदैव रहता है कि पानी को ईश्वर के समकक्ष रखा जाए या उनसे भी ऊपर। परन्तु माना यही जाता है कि