सप्ताहान्त – 12 मई, 2019

स्वराज्य टाइम्स, रविवार 12 मई 2019

नन्ही लोमड़ी तालाब पर पानी पी रही थी। शेर की निगाह पड़ गई,जीभ ललचाने लगी। सुबह का नाश्ता मिल गया। पहुंच गया बच्चे के पास और दहाड़ते हुए बोला मैं तुझे खा जाऊंगा। बच्चा गिड़गिड़ाया, क्यों हुजूर क्या ख़ता हो गई। शेर बोला तूने मुझे गाली दी है। बच्चा बोला नही सरकार मैंने आज तो किसी को कोई गाली नही दी। तो तीन महीने पहले दी होगी, शेर गुस्सा दिखाते हुए बोला।

नही हुजूर मेरी तो उमर ही दो महीने की है, तीन महीने पहले कैसे दे सकती हूँ। बच्चे ने जवाब दिया। तो फिर तेरी मां ने दी होगी, शेर बोला। लोमड़ी के बच्चे ने हार मान ली,वह बोला सरकार आपको मुझे खाना है, खा ही लीजिये।

लोकसभा के चल रहे चुनावों के छठे चरण में आज मतदान हो रहा है और अंतिम व सातवें चरण के लिए 19 मई को होगा। लेकिन जैसे जैसे चुनावों की अंतिम सीमा निकट आरही है गाली गलौज की सीमाएं उतनी ही ज्यादा लांघी जा रही हैं। ऐसा लग रहा है जैसे गंदी बात का क्लाइमेक्स या चर्मोत्कर्ष हो रहा है।

प्रधानमंत्री जी को 56 गालियां याद आ गई और उन्होंने एक रैली में उन्हें भरी आंखों के साथ दुहरा दिया। दूसरे दिन बाकायदा मंत्री जी नितिन गडकरी ने इन गालियों को छप्पन भोग बताते हुए बाकायदा एक प्रेसकॉन्फ्रेंस भी की। हम भी नही चाहते और कोई भी नही जानता कि देश के प्रधानमंत्री को कोई गाली दे, इसकी जितनी निंदा की जाए उतनी ही कम है। परन्तु यह शोध का विषय है कि जो कुछ कहा जा रहा है वह वास्तव में गालियां ही हैं या गालियां कुछ परिष्कृत हो गई है। कब दी किसने दी किस परिप्रेक्ष में दी, दी भी कि नही आदि आदि। क्या अचानक गाली पुराण शुरू हो जाने से दो चरणों मे कुछ सहानुभूति मिलेगी, यह भी 23 मई को ही पता लग पायेगा। परन्तु रिपोर्ट्स बताती हैं कि ज्यादातर लोगों ने इस भाषण को एक चुनावी भाषण ही समझा है।

भारतीय राजनीति में अनेक महिलाएं भी हैं। अनेक महिलाएं चुनावी अखाड़े में भी सक्रिय हैं। बहुत शर्म की बात है कि उन्हें ऐसी अशिष्ट व अश्लील टिप्पणियों का सामना करना पड़ रहा कि बुरी से बुरी गाली भी शर्म जाये।शूर्पणखा, नाचने वाली, जैसा कहना तो आम हो गया है। परन्तु उनकी ओर किसी का ध्यान नही है।

हम पहले भी कई बार कह चुके हैं कि चुनावों का इतना लंबा होना ही इस बढती हुई कडुवाहट के लिए जिम्मेदार है। ये चुनाव तो हो लिए पर भविष्य के लिए इस बारे में गहन चिंतन करना होगा कि चुनाव की अवधि कम की जा सके। वाणी पर नियंत्रण तभी होगा जब जीभ पर नियंत्रण होगा। जीभ जब गलत चलती है तो तलवार की भांति चलती है, बंदूक की गोली की तरह चलती है, उसी तरह से घायल भी करती है। विज्ञान कहता है कि जीभ पर लगी चोट जल्दी ठीक होती है और विद्वान कहते हैं कि जीभ से लगी चोट कभी ठीक नही होती। इस बात का ध्यान रखना होगा।

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Rajiv jain
Rajiv jain
May 13, 2019 7:27 pm

A nice and beautiful effort
May Almighty give all successes to this effort and your name should shine like Sun

sarvagya shekar Gupta
sarvagya shekar Gupta
May 13, 2019 8:32 pm
Reply to  Rajiv jain

Thank you Sir.
Regards

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