चुनावों में महाभारत

दुख, शोक, जब जो आ पड़े, सो धैर्य पूर्वक सब सहो, 
होगी सफलता क्यों नहीं कर्त्तव्य पथ पर दृढ़ रहो।।
अधिकार खो कर बैठ रहना, यह महा दुष्कर्म है;
न्यायार्थ अपने बन्धु को भी दण्ड देना धर्म है।
इस तत्व पर ही कौरवों से पाण्डवों का रण हुआ,
जो भव्य भारतवर्ष के कल्पान्त का कारण हुआ।।
सब लोग हिलमिल कर चलो, पारस्परिक ईर्ष्या तजो,
भारत न दुर्दिन देखता, मचता महाभारत न जो।।

– मैथिलीशरण गुप्त

आजकल चुनावों में जो महाभारत चल रहा है, इस पर महा कवि मैथिली शरण गुप्त जी की ये पंक्तियां आज भी सार्थक सिद्ध होती हैं।

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