सप्ताहांत: आओ! हम बनाएं, सकारात्मक वातावरण

लॉकडाउन में घरों में बंद रहने के कारण और कोरोना से संबंधित दुःखद खबरें देख-पढ़ कर ज्यादातर लोग अवसादग्रस्त हो रहे हैं। गुस्सा, चिड़चिड़ापन की शिकायतें आ रही हैं। ऐसी दशा में कुछ लोग आत्मघाती कदम भी उठा लेते हैं और अपने पूरे परिवार को तबाह कर लेते हैं। यह सब सकारात्मक वातावरण के अभाव में हो रहा है। यदि हम सकारात्मक वातावरण में रहें और सकारात्मक वातावरण न होने

सप्ताहांत: माँ के आँचल में सुख स्वर्ग सा, माँ के चरणों में चारों धाम

बात उन दिनों की है जब मैं बैंक में था। हमारे एक महाप्रबंधक महोदय दौरे पर आए और उन्होंने अपने उद्बोधन के अंत में सभी से एक प्रश्न किया, “पति पत्नी ने आपस में या महिला पुरुष मित्रों ने एक दूसरे को अनेक बार आई लव यू बोला होगा, परंतु यह बताइए कि आप में से कितने लोगों ने अपनी माँ को आई लव यू बोला है?” उनके इस सवाल

बाल दिवस के अवसर पर विशेष: मेरे अंदर का बच्चा जागा

प्रत्येक व्यक्ति के अंदर एक बच्चा होता है, उसे यदि जाग्रत रखा जाए तो जीवन एक बच्चे की भांति निश्छल और सच्चा हो सकता है। इस अवसर पर एक रचना प्रस्तुत है – ??????? मेरे अंदर का बच्चा जागा ??????? घर से बाहर निकला ही थाएक छोटा बच्चा पास आया,नन्हे हाथों से रंग-बिरंगेगुब्बारों का झुंड दिखाया। कातरता से देखा मुझकोबोला हाथ पकड़ कर,गुब्बारे ले लो बाबू जीकरो कृपा मेरे ऊपर।

लघु कथा – अचूक उपाय

शरद बाबू की कई दिनों से बांई आँख फड़क रही थी। ऐसी मान्यता है कि आँखों का फड़कना शुभ अशुभ का संकेत देता है, वह इसलिए भी परेशान थे कि बाई आँख का फड़कना अशुभ माना जाता है। इसका वैज्ञानिक कारण यह ज्ञात हुआ कि कम्यूटर या मोबाइल पर ज्यादा काम करने से आँखें जब सूख जाती हैं तब ऐसा होता है। अर्थात लुब्रिकेशन कम हो जाने से। सूखी आँखों

भ्रम

तक्ष आज बहुत खुश था । उसे फेसबुक पर शिला नाम की एक लड़की ने फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी। तुरन्त उसने स्वीकार भी कर ली। धीरे धीरे दोनों एक दूसरे की पोस्ट लाइक करने लगे। कमेंट्स भी शुरू हो गए। तक्ष का शिला की ओर झुकाव बढ़ता चला गया। वह जानबूझ कर फेसबुक पर रोमांटिक कविताएं और शायरियां डालने लगा। शिला भी दिलखोल कर उसकी लेखनी की तारीफ करती और