सप्ताहान्त – 04 अगस्त, 2019

कैफे कॉफी डे (CCD) के मालिक वी जी सिद्धार्थ की असामयिक मौत ने एक बार फिर अवसाद का सामना न करने संबंधी कुछ नए प्रश्नों को जन्म दे दिया है। उनका शव उनके गायब होने के लगभग 30 घंटे के बाद मेंगलुरु के पास नेत्रावती नदी में मिला। उनके पास से एक पत्र भी मिला। सिद्धार्थ ने पत्र में लिखा कि वह कंपनी के लिए एक मुनाफे वाला बिजनेस मॉडल

मैं भी माँ हूँ

तू देवी माँ हैमहिषासुर मर्दनी, कालीमैं भी माँ हूँसुख मर्दनी,दुनिया मेरी काली। चण्ड मुण्ड तूने सँहारेदेवों की रक्षा को,अपने सपने मैंने मारेबच्चों की इच्छा को। ये भी याचक, मैं भी याचककटोरा सब का खाली है,मांग रहे हैं तेरे दर परदाती, तू ही देने वाली है। ये मांगे तुझ से,मैं मांगू इन सेभर दे इनकी झोली मैया,इनकी नाव पार लगा देतभी चलेगी मेरी नैया। सदबुद्धि भी देना इनकोऐसी स्थिति कभी न

हरियाली तीज

माँ पार्वती-शिव मिलन काहरियाली तीज पर्व है आज,रच गई मेहंदी, डल गए झूलेझूमे नाचे, नारी समाज।व्रत पूजा कर करें कामनाअखंड सौभाग्य-योग्य वर की,षोडश श्रृंगारमय महिलाएंपाएं कृपा उमा-शंकर की। – सर्वज्ञ शेखर

सप्ताहांत – 112 वें हस्ताक्षर

एक पुराना प्रसंग है, परन्तु आजकल प्रासंगिक है। एक युवक ने किसी कम्पनी में भर्ती के लिए आवेदन किया। पहले आवेदन हस्तलिखित ही स्वीकार किए जाते थे। कहा जाता है कि हस्तलिपि की सूक्ष्म पड़ताल से ही आवेदक के बारे में बहुत कुछ पता लग जाता था। तो वह युवक जब आवेदनपत्र ले कर कम्पनी के अधिकारी के पास पहुंचा तो अधिकारी महोदय ने किसी कारणवश क्रोध में उसका आवेदन

इन्हें जल दो, दो न जला

धरती सूखी,नदिया सूखी,सूखे ताल तलैया,जल्दी आओ बरखा रानी,कर दो छप छप छैया। रूठ गया कलरव चिड़िया का,छूट गई कौवे की काँव,कुहू कुहू कोयल न बोले,वीरान हुआ है पूरा गांव। वर्षा ने सुखाया,हमने दुखाया,हरे-भरे वृक्षों का देखो,क्या हाल है,सबने बनाया। यह कैसी मन्नत पूजन है,बना दिया है कूड़ादान,सिंचन पोषण छोड़ दिया,यह कैसा इनका सम्मान। इन्हें जल दो, दो न जला,तब ही सृष्टि का,होगा भला।हरा-भरा रखने से इनको,होगी दूर सारी बला। –

सप्ताहान्त – 21 जुलाई, 2019

रिमझिम फुहारों के साथ 17 जुलाई से पवित्र श्रावण मास के प्रारम्भ होते ही हरे भरे तीज त्योहारों की बहार आ गई है। वातावरण में गर्मी से मुक्ति पा कर हंसी खुशी व मादकता का भान हो रहा है। इसी के साथ ही प्रारम्भ हो गई है कांवड़ यात्रा भी। कांवर या कांवड़ का कोई शाब्दिक अर्थ नहीं है। ब्रह्म में रमना या कांधे पर धारण करने के कारण कांवर

श्रावण मास में शिव जी के साथ भगवान राम के पूजन का महत्व

श्रावण मास को मुख्यतः देवों के देव महादेव शिव की पूजा-आराधना के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना गया है। भगवान शिव को आराध्य मानकर भक्त श्रावण मास में पूरे मनोयोग से जप-तप और आराधना करते हैं।परन्तु शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा तो महत्वपूर्ण है ही साथ ही भगवान राम की पूजा भी उतना ही महत्व रखती है जितनी की शिव पूजा। इसीलिए श्रावण मास में जगह

सावन का महीना

पवित्र श्रावण मास आगयालेकर हरे भरे त्यौहार,शिव-परिक्रमा, रक्षाबंधननागपंचमी, तीज बहार।डाल-डाल डल गए हिंडोलेझूलें राधा सखियों संग,किशन कन्हैया देवें झोटारिमझिम वर्षा भरे उमंग। -सर्वज्ञ शेखर

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