श्रावण मास में शिव जी के साथ भगवान राम के पूजन का महत्व

श्रावण मास को मुख्यतः देवों के देव महादेव शिव की पूजा-आराधना के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना गया है। भगवान शिव को आराध्य मानकर भक्त श्रावण मास में पूरे मनोयोग से जप-तप और आराधना करते हैं।परन्तु शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा तो महत्वपूर्ण है ही साथ ही भगवान राम की पूजा भी उतना ही महत्व रखती है जितनी की शिव पूजा।

इसीलिए श्रावण मास में जगह जगह रामचरित मानस का पाठ भी कराया जाता है । भगवान शिव, भगवान राम को और भगवान राम, भगवान शिव को अपना आराध्य मानते हैं। रामचरितमानस के पाठ से भगवान राम की आराधना तो होती ही है साथ ही भगवान शिव भी प्रसन्न होते है। भगवान राम की पूजा के बिना शिव पूजा अधूरी रहती है और बिना शिव पूजा के राम पूजा अधूरी है। यह भी मान्यता है कि भगवान शिव ने हनुमान जी का रूप रख कर रामजी की सेवा की व रावण से युद्ध में सहायता प्रदान की।

रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं –

लिंग थाप कर विधिवत पूजा, शिव समान मोही और न दूजा।

अर्थात, भगवान राम का कहना है कि भगवान शिव के समान मुझे कोई दूसरा प्रिय नही है, शिव मेरे आराध्य हैं।

– सर्वज्ञ शेखर, साहित्यकार

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