मैं भी माँ हूँ

तू देवी माँ है
महिषासुर मर्दनी, काली
मैं भी माँ हूँ
सुख मर्दनी,
दुनिया मेरी काली।

चण्ड मुण्ड तूने सँहारे
देवों की रक्षा को,
अपने सपने मैंने मारे
बच्चों की इच्छा को।

ये भी याचक, मैं भी याचक
कटोरा सब का खाली है,
मांग रहे हैं तेरे दर पर
दाती, तू ही देने वाली है।

ये मांगे तुझ से,मैं मांगू इन से
भर दे इनकी झोली मैया,
इनकी नाव पार लगा दे
तभी चलेगी मेरी नैया।

सदबुद्धि भी देना इनको
ऐसी स्थिति कभी न आए,
घर को बनाएं मंदिर ऐसा
माँ के दर पर माँ न जाए।

– सर्वज्ञ शेखर

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