धरती प्यासी, प्यासी मटकी

धरती प्यासी, प्यासी मटकी
सूखी नदियां ताल तलैया,
कब आएगी वर्षा प्यारी
कब होगी छप छप छैया।
हलक तलक सूख गया
जल गए पौधे तप गई घास,
उमड़ घुमड़ आ जाओ बदरा
अब सही ना जाए प्यास

#सर्वज्ञ_शेखर

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