सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्ति : कुछ विकल्प तो हो

आगरा शहर सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने के लिए कटिबद्ध हो रहा है। अनेक सामाजिक व पर्यावरण संस्थाओं ने इस संबंध में मुहिम चला रखी है। आगरा में रामलीला महोत्सव के दौरान आयोजित होने वाली जनकपुरी के आयोजकों ने जनकपुरी के 3 दिवसीय समारोह को प्लास्टिक फ्री रखने का निर्णय किया है। आगरा में 11 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक आयोजित होने जा रहे वृहद पुस्तक मेले व साहित्योत्सव के आयोजकों ने भी इस 10 दिवसीय उत्सव को प्लास्टिक से मुक्त रखने का प्रस्ताव पास किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि भारत अगले कुछ वर्षों में सिंगल यूज प्लास्टिक से पूरी तरह छुटकारा पा लेगा। मोदी जी ने दुनिया के अन्य देशों से भी ऐसा ही करने की गुजारिश की। उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में आयोजित यूनाइटेड नेशंस कॉन्वेंशन टु कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) के 14वें सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने यह संकल्प लिया।
सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार महात्मा गांधी की 100 वीं जयंती, 2 अक्टूबर, 2019 के दिन से देशभर में सिंगल-यूज प्लास्टिक बैन होने जा रहा है। इस तारीख से सिंगल-यूज प्लास्टिक से बनने वाले छह प्रोडक्ट्स – प्लास्टिक बैग, स्ट्रॉ, कप्स, प्लेट, बोतल और शीट्स बंद होने जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने भाषण में देशवासियों से सिंगल-यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को बंद करने की अपील की थी। उन्होंने 2022 तक भारत को सिंगल-यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है।
सिंगल यूज़ प्लास्टिक वह होता है जिसका इस्तेमाल सिर्फ एक बार किया जाता है और फिर वह डस्टबिन में चला जाता है। सीधे शब्दों मे कहें तो इस्तेमाल करके फेंक दी जाने वाली प्लास्टिक ही सिंगल-यूज प्लास्टिक कहलाती है। इसे हम डिस्पोजेबल प्लास्टिक भी कहते हैं। इसका इस्तेमाल हम अपने रोजमर्रा के काम में करते हैं, जैसे-प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्रॉ, कप, प्लेट्स, फूड पैकजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, गिफ्ट रैपर्स और कॉफी की डिस्पोजेबल कप्स आदि।
सिंगल यूज प्लास्टिक के केवल 7.50 प्रतिशत की ही रीसाइक्लिंग हो पाती है। बाकी प्लास्टिक मिट्टी में दफन हो जाता है, जो पानी की सहायता से समुद्र में पहुंचता है और वहां के जीवों को नुकसान पहुंचाता है। अधिकांश प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं हैं और कुछ समय में प्लास्टिक टूटकर जहरीले रसायन भी छोड़ते हैं। ऐसे रसायन पानी और खाद्य सामग्रियों के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचते हैं और गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। चूंकि यह गलता नहीं है इसलिये नालों नालियों को चोक कर देता है और जानवरों के पेट में जा कर उन्हें नुकसान पहुँचाता है।
हमारी भी सभी से यह अपील है कि प्लास्टिक, विशेषकर सिंगल यूज़ प्लास्टिक का प्रयोग न करके पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान करें। पर्यावरण ही नहीं यह सम्पूर्ण मानव जाति के लिए घातक है। यदि हम अपनी सुरक्षा को ही ध्यान में रख कर यह पावन कार्य करें तब भी श्रेयस्कर रहेगा। परन्तु सरकार को भी ऐसी वैकल्पिक व व्याहारिक व्यवस्था करनी चाहिए कि जनता स्वेच्छा से और बिना किसी कष्ट के प्लास्टिक का उपयोग करना छोड़ दे।
– सर्वज्ञ शेखर
स्वतंत्र लेखक, साहित्यकार