हिंदी

राष्ट्र प्रेम, राष्ट्र सद्भावराष्ट्रीय अस्मिता है हिंदी,एक राष्ट्र एक भाषा कीप्रतीक कविता है हिंदी।माँ भारती के भाल परससम्मान सुशोभित सीसाहित्य के आकाश परप्रकाशित सविता है हिंदी। – सर्वज्ञ शेखरकवि, आगरा Hindi Rashtra prem, rashtr sadbhav,Rashtreey asmita hai Hindi,Ek Rashtr ek bhasha ki,Pratik kavita hai Hindi.Maan bharati ke bhal par,Sasamman sushobhit si,Sahitya ke aakash par,Prakashit Savita hai Hindi. – Sarwagya Shekhar, Poet, Agra

दया करो हे विघ्न विनाशक

प्रथमपूज्य, लंबोदर प्रभु जीस्वागत स्वागत हे गजाननजय जय एकदंत गजवदनाआओ, पधारो हमारे आंगन,रोग शोक को दूर भगाओरिद्धि सिद्धि दायक विनायक,सुख समृद्धि मय हो देश हमारादया करो हे विघ्न विनाशक। – सर्वज्ञ शेखर Jai Ganesha Prathampujya, Lambodar Prabhu Ji,Svaagat svaagat he Gajaanan,Jai Jai Ekadant Gajavadana,Aao, padhaaro hamaare aangan,Rog shok ko door bhagao,Riddhi Siddhi daayak Vinaayak,Sukh Samrddhi maya ho desh hamara,Daya karo he Vighn Vinashak. – Sarwagya Shekhar

आगरा के गौरव: काव्य शिरोमणि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

आज आगरा नगर सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की 22 वी पुण्यतिथि पर उन्हें नमन कर रहा है। आगरा को यह गौरव प्राप्त है कि माहेश्वरी जी जैसे वरिष्ठ साहित्यकार ने यहाँ जन्म लिया और संपूर्ण देश में आगरा का नाम रोशन किया। द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी बाल गीतायन को रचकर बच्चों के गांधी के नाम से मशहूर हो गए। बाल गीतायन में उन्होंने बच्चों को 176 कविताओं का तोहफा

बैडमिंटन विश्व विजेता – पी वी सिंधु

पी वी सिंधु ने किया हैझंडा ऊंचा भारत का,बैडमिंटन विश्व विजेता बनबजाया डंका महारत का।भारत की यशस्वी बेटी परहम सब को है गर्व महानबधाई और शुभकामनाएंऔर बढ़ाओ देश की शान।। – सर्वज्ञ शेखर Badminton World Winner – PV Sindhu P V Sindhu ne kiya hai,Jhanda Ucha Bharat ka,Baidamintan vishv vijeta ban,Bajaya danka mahaarat ka,Bharat ki yashasvi beti par,Ham sab ko hai garv mahan,Badhai aur Shubhakaamanaen,Aur badhao desh ki Shan. –

हैप्पी बर्थडे किशन कन्हैया

लड्डू गोपाल उदय पर्व हैजन्माष्टमी की बेला पावन,मंदिर-मंदिर, घर चौबारेडले हिंडोले मनभावन।गोवर्धनधारी, बंशी बजैयासारे जग के झूला झलैया,स्वयं झूल रहे हैं पलना मेंहैप्पी बर्थडे किशन कन्हैया। – सर्वज्ञ शेखर Happy Birthday Kishan Kanhaiya Laddoo gopaal uday parv hai,Janmashtami ki bela pavan,Mandir-mandir, ghar chaubare,Dale hindole manabhavan,Govardhanadhaari, banshe bajaiya,Sare jag ke jhoola jhalaiya,Svayan jhool rahe hain palana mein,Happy Birthday Kishan Kanhaiya. – Sarwagya Shekhar

अभिनंदनम_अभिनंदनम

न्यू इंडिया, नव भारत हैएक राष्ट्र और एक निशान,कश्मीर से कन्याकुमारी तकअब हमारा एक संविधान। भारत माता के स्वागत मेंनया गान अब गाएंगे,सारे जहाँ में ऊंचा अपना प्यारा तिरंगा फहराएंगे। कभी न झुकेगा शीश हमाराकटवा देंगे राष्ट्र के काम,सदा रखेंगे भारत माँ कासम्पूर्ण विश्व में ऊंचा नाम। मंगल और चांद परपहुंचे हमारे अंतरिक्ष यान,अपनी उपलब्धियों परहमें है गुमान और अभिमान। आज़ादी के यज्ञ में आहुतिदी, लुटा दी अपनी जान,श्रद्धा से

उमड़ घुमड़ आजा ओ बदरा

कजरारे बदरा, नभ के दामन में दमकती दामिनी, वर्षा की रिमझिम फुहारें,श्रावण गीत मल्हार,झूले, शिव-पार्वती के पूजन में मग्न षोडश श्रृंगार किए नारी समाज,बम-बम भोले करते कांवड़ धारी शिवभक्तों की टोलियां, शीतल मंद समीर के साथ हिलोरें खाती एक दूसरे से लिपटी लताएं, नव यौवनाओं के झटकते काले केशों के बीच से झांकता चाँद सा चेहरा। लगता है मस्त कामदेव धरा पर उतर आया है। यह सब किया है केवल

मैं भी माँ हूँ

तू देवी माँ हैमहिषासुर मर्दनी, कालीमैं भी माँ हूँसुख मर्दनी,दुनिया मेरी काली। चण्ड मुण्ड तूने सँहारेदेवों की रक्षा को,अपने सपने मैंने मारेबच्चों की इच्छा को। ये भी याचक, मैं भी याचककटोरा सब का खाली है,मांग रहे हैं तेरे दर परदाती, तू ही देने वाली है। ये मांगे तुझ से,मैं मांगू इन सेभर दे इनकी झोली मैया,इनकी नाव पार लगा देतभी चलेगी मेरी नैया। सदबुद्धि भी देना इनकोऐसी स्थिति कभी न

हरियाली तीज

माँ पार्वती-शिव मिलन काहरियाली तीज पर्व है आज,रच गई मेहंदी, डल गए झूलेझूमे नाचे, नारी समाज।व्रत पूजा कर करें कामनाअखंड सौभाग्य-योग्य वर की,षोडश श्रृंगारमय महिलाएंपाएं कृपा उमा-शंकर की। – सर्वज्ञ शेखर

इन्हें जल दो, दो न जला

धरती सूखी,नदिया सूखी,सूखे ताल तलैया,जल्दी आओ बरखा रानी,कर दो छप छप छैया। रूठ गया कलरव चिड़िया का,छूट गई कौवे की काँव,कुहू कुहू कोयल न बोले,वीरान हुआ है पूरा गांव। वर्षा ने सुखाया,हमने दुखाया,हरे-भरे वृक्षों का देखो,क्या हाल है,सबने बनाया। यह कैसी मन्नत पूजन है,बना दिया है कूड़ादान,सिंचन पोषण छोड़ दिया,यह कैसा इनका सम्मान। इन्हें जल दो, दो न जला,तब ही सृष्टि का,होगा भला।हरा-भरा रखने से इनको,होगी दूर सारी बला। –