अध्यक्ष और गृहणी

अध्यक्ष और गृहणी में एक बड़ी समानता है –

गृहणी बड़ी तैयारी से भोजन तैयार करती है परन्तु उस को आखिर में या तो सारा बचा खुचा खाने को मिलेगा या कुछ भी नही मिलता, बेचारी भूखी रह जाती है।

अध्यक्ष जी भी बड़ी तैयारी के साथ नोट्स बना कर लाते हैं, पर जब उनका बोलने का समय आता है तो संचालक/सूत्रधार महोदय अपने हाथ की घड़ी देखते हुए बड़ी विनम्रता से कहते हैं, आदरणीय अध्यक्ष महोदय, यद्यपि समय बहुत हो गया है, काफी लोग जा भी चुके हैं, परन्तु क्या करें औपचारिकता है कि अध्यक्ष जी के संबोधन के बिना आज का आयोजन समाप्त नहीं हो सकता अतः कृपया दो शब्दों से अपना आशीर्वाद प्रदान करने का कष्ट करें।

बेचारे अध्यक्ष जी, है है करते हुए, नोट्स की पर्चियों को कातर निगाह से देख कर अपने कुर्ते की जेब को समर्पित करते हुए कहते हैं, देखिये आप सभी इस विषय पर इतना बोल चुके हैं कि मेरे लिए कहने को कुछ बचा ही नही है।

नमस्कार !!

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