इन हत्याओं का जिम्मेवार कौन?

delhi fire

हाहाकार मचा हुआ है, रोंगटे खड़े हो रहे हैं, चीत्कार और सिसकियों की आवाज से दिल दहल रहे हैं, देखने सुनने वालों की आत्मा क्रंदन कर रही है, परंतु राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों की जुबान से वही रटे रटाये जुमले निकल रहे हैं-दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, किसी को छोड़ा नहीं जाएगा, चाहे जितना प्रभावशाली हो, जांच के आदेश दे दिए गए हैं, मुआवजे की घोषणा कर दी गई है, अस्पताल में घायलों का निःशुल्क इलाज कराया जाएगा। यह दृश्य है दिल्ली का जहां रानी झांसी रोड बाजार स्थित एक फैक्ट्री में पिछले रविवार को सुबह सवेरे हुए भीषण अग्निकांड में 43 निर्दोष मजदूरों के जिंदा जल जाने के बाद उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था। रात को काम करके 59 मजदूर बैग बनाने की इस फैक्ट्री में सो रहे थे कि सबेरे अग्नि ने इनमें से 43 को काल के गाल में समा दिया। इंतिहा तो तब हो गई जब जिस वक्त फैक्ट्री में आग लगी, उस वक्त फैक्ट्री के गेट को बाहर से बंद कर दिया गया। अंदर मजदूर बाहर आने के लिए गुहार लगा रहे थे। स्थानीय लोगों की मदद से गेट तोड़कर कुछ लोगों को बाहर निकाला गया।बाद में दमकल विभाग की 30 से ज्यादा गाड़ियां घटनास्थल पर पहुंचीं।

इस बिल्डिंग में किसी भी तरह के सुरक्षा नियामकों का ध्यान नहीं रखा गया था, न ही बिल्डिंग मालिक ने एनओसी के लिए फायर बिग्रेड की क्लियरेंस ली थी। साथ ही एमसीडी को भी इसकी जानकारी नहीं थी कि यहाँ कोई फैक्ट्री चल रही है। इससे स्पष्ट है कि यह दुर्घटना मानवीय लापरवाही से हुई जबकि इसका कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। यह मौत नहीं हत्या है।

दिल्ली की इस दुर्घटना ने 22 साल पुराने वीभत्स उपहार सिनेमा कांड की याद दिला दी जब 13 जून 1997 को साउथ दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा में सनी देओल, सुनील शेट्टी और अक्षय खन्ना की फिल्म “बॉर्डर” चल रही थी, तभी आग लग गई और 59 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।इस हादसे में 100 से ज्यादा लोग झुलस गए थे।

दिल्ली में अग्निकांड की अनेक दुर्घटनाएं लगातार हुईं हैं परंतु उनसे कोई सबक नहीं लिया गया। उपहार सिनेमा कांड के अलावा 20 नवंबर 2011 को पूर्वी दिल्ली में आयोजित किन्नरों के सम्मेलन में आग लग गई थी, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई थी और 50 लोग घायल हुए थे।

12 फरवरी 2019 को करोलबाग स्थित होटल अर्पित में हुए अग्निकांड में 17 लोगों की मौत हो गई थी। 20 जनवरी 2018 को दिल्ली के बवाना इलाके में फैक्ट्री में लगी भीषण आग से 17 लोगों की मौत हो गई थी।

ये सारी मौतें मानवीय गलतियों के कारण हुईं हैं, इसलिए ये मौत नहीं हत्याएं हैं। इन हत्याओं के लिए कसूर किसका है, इसका कसूरवार जो भी हो, दिल्ली सरकार और प्रशासन की भी कम जिम्मेवारी नहीं है।

– सर्वज्ञ शेखर

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