उनके आगे हम तिल भर भी नहीं

फादर्स डे पर…

हमारे पूज्य पिताजी रोशनलाल गुप्त “करुणेश” 8 साल की उम्र में बाल भारत सभा में शामिल हो गए। 18 साल की आयु में अंग्रेजों के खिलाफ आशा पत्र निकाला। इस दौरान वीर सावरकर, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, नेहरू जी आदि से साक्षात्कार लिए। 21 साल की उम्र में अंग्रेज कलक्टर हार्डी पर आगरा में बम विस्फोट कर दिये। एक बम बनाते समय दृष्टिक्षीण हो गई। फिर भी हम बच्चों से बोल बोल कर लिखाते रहे। दैनिक व साप्ताहिक स्वराज्य के सम्पादकीय विभाग में रहे। साप्ताहिक व दैनिक हिंदुस्तान, नव भारत टाइम्स में आधा आधा पेज के लेख प्रकाशित हुए। दृष्टिक्षीण रह कर इतनी लम्बी पत्रकारिता करने का शायद ही कोई उदाहरण होगा। विश्व की क्रांति, स्वाधीनता आंदोलन का पूरा इतिहास उनके मन मस्तिष्क में समाया था।माननीय राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति महोदय ने उन्हें अपने यहाँ बुलाकर सम्मानित किया था।

हम अपने पिता जी के सामने तिल के बराबर भी नहीं। बस उन की यादों के साये में अपना जीवन गुजार रहे है। ईश्वर से प्रार्थना है कि वे किसी न किसी जन्म में हमें अपने पिताजी जैसा बनाएँ।

फादर्स डे पर मेरी बस यही भावना है।

पिता गुरू है,पिता मित्र है,
धरती पर है भगवान पिता।
पिता बिना परिवार अधूरा,
पूरे करते अरमान पिता।
पितृ चरणों में स्वर्ग सुवासित
है पवित्र चारों धाम पिता,
पितृदिवस पर करबद्ध हमारा
करो स्वीकार प्रणाम पिता।

-सर्वज्ञ शेखर

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