सप्ताहांत: रहिमन पानी राखिए

रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून ।पानी गए न उबरै, मोती मानुष चून ।। जिस समय रहीमदास जी ने इस दोहे की रचना की थी, उनको कल्पना भी न होगी कि इक्कीसवीं सदी में उनकी लिखी पँक्तियाँ इतनी महत्वपूर्ण हो जाएंगी। जल संरक्षण के प्रति उदासीनता ने पीने योग्य स्वच्छ जल की इतनी कमी कर दी है कि पूरा विश्व इस विषय को ले कर चिंतित है।संयुक्त राष्ट्र के