आप को कोरोना कैसे हुआ हे महामानव

Amitabh Bachchan
Image Courtesy: Wikipedia

आम जनता से लोगों को बहुत शिकायत रहती है कि कोविड-19 के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, मास्क नहीं लगा रहे हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं, बाजारों में ऐसे ही घूम रहे हैं, साबुन से हाथ नहीं धो रहे हैं, सामान को सैनिटाइजर नहीं कर रहे हैं, आदि आदि। लेकिन जब उन लोगों को कोरोना होता है जो अभेद्य सुरक्षा चक्र में रहते हैं, जिनके चारों तरफ प्रशिक्षित डॉक्टरों, योगाचार्य, आयुर्वेदाचार्य की फौज रहती है, और जो बड़े ही नियम संयम से रहते हैं, तो एक प्रश्न पूछना बड़ा लाजिमी हो जाता है कि हे महान विभूति आपने भी कोई तो लापरवाही जरूर की होगी।

जैसा कि सभी को ज्ञात है अमिताभ बच्चन के पूरे परिवार को (जया बच्चन को छोड़कर) कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। इसके अलावा फिल्म इंडस्ट्री के कुछ और कलाकारों पर भी कोरोना का प्रहार हुआ है। अक्सर हम समाचारों में देखते हैं और सुनते हैं कि राजभवन, संसद भवन के एक हिस्से में या राष्ट्रपति भवन के एक हिस्से में या सर्वोच्च न्यायालय के एक हिस्से में या किसी भी मंत्रालय के कर्मचारियों में यहां तक कि सीआरपीएफ के जवानों में भी कोरोना की बीमारी प्रवेश कर गई। जबकि यह सभी अति सुरक्षित, नियमित और अनुशासित वर्ग से आते हैं। इसका तात्पर्य है कि कोई भी हो, चाहे वह आम जनता के बीच का कोई व्यक्ति हो या बहुत बड़ी सेलिब्रिटी, बहुत बड़ी विभूति हो, जरा भी लापरवाही करेंगे तो कोरोना का प्रहार अवश्य होगा।

सुना जा रहा है कि अनलॉक होने के बाद मुंबई में शूटिंग दोबारा शुरू हो चुकी हैं, जश्न मनाए जा रहे हैं, समारोह हो रहे हैं, बर्थडे मनाए जा रहे हैं। अब जब इतने सारे कार्यक्रम होंगे और उनमें वो लोग भी शामिल होंगे जो दूसरों को ज्ञान देते हैं तो कोरोना संक्रमित होने की संभावना बनी ही रहती है। चाहे आप यह कहें कि किसी भी समारोह में जो लोग सम्मिलित हुए वह घर के ही थे। इससे फर्क नहीं पड़ता कि समारोह में घर के लोग हैं और उनमें से किसी को कोई बीमारी नहीं है। यह मान भी लिया जाए तो यदि आप केक काटते हैं तो वह तो बाहर से आएगा और जिसने बनाया है वह संक्रमित था या नहीं इसकी किसी को जानकारी नहीं होती है। यदि आप केक को घर पर भी बनाते हैं तो दूध और चीनी व और सामग्री तो बाहर से आएगी। फल भी बाहर से आएंगे। जो घर से बाहर से सामान आता है वह लाने वाला संक्रमित है या नहीं, बाहर से कोई भी सामग्री यदि घर पर आती है तो वह न जाने कितने हाथों में होकर गुजरती है जो उस के निर्माण, पैकिंग व वितरण प्रक्रिया में शामिल हैं उनमें से यदि एक भी कोरोना से संक्रमित है तो आपको, मुझको या किसी को भी कोरोना हो सकता है।

ठीक है आज एक बहुत बड़ी विभूति को कोरोना हो गया तो सारा देश उसके लिए दुआ कर रहा है, प्रार्थना कर रहा है। हम तो भगवान से रोज दुआ करते हैं, प्रार्थना करते हैं कि हमारे देश में किसी को कोरोना न हो, हमारे समाज में किसी को कोरोना न हो, मेरे परिवार में किसी को कोरोना न हो और मुझको भी कोरोना न हो। लेकिन यह तभी संभव है जब कि हम लापरवाही न बरतें। किसी भी सार्वजनिक समारोह को आयोजित न करें न किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में भाग लें। जरा सी भी लापरवाही घातक सिद्ध हो सकती है। आप चाहे नितने सतर्क हैं पर यदि सामने वाला लापरवाह है तब भी नुकसान तो आप ही का है।इस लापरवाही की परिभाषा तो “हरि अनंत, हरि कथा अनंता” की तरह से है।

एक बात अवश्य है जब भी किसी को कोरोना होगा तो एक दूसरे पर संशय जरूर होगा कि वह मेरे घर आया था या मैं उसके घर गया था, या आज ठेल वाले से सब्जी ली थी या आज परचून की दुकान से लड़का आया था आदि। परचून वाले को कोरोना हो गया तो वह सोचेगा कि मैं जिसके घर में गया था उसकी वजह से हुआ और वह जिसके घर गया है उसको हो गया तो वह सोचेगा कि आज परचून वाला मेरे घर आया था या केमिस्ट की दुकान से दवाई देने कोई मेरे घर आया था उस से हो गया।

इस प्रकार कोरोना आपसी संबंधों में दरार डाल रहा है,इसने आपसी विश्वास को हिला कर रख दिया है। इसे कायम रखना तभी संभव है जब निहायत ही जरूरी होने पर घर से बाहर निकलें, किसी समारोह को न आयोजित करें न शामिल हों।विशेषकर सीनियर सिटीजन, और रोगी।

– सर्वज्ञ शेखर
स्वतंत्र लेखक

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