सप्ताहांत: आओ! हम बनाएं, सकारात्मक वातावरण

लॉकडाउन में घरों में बंद रहने के कारण और कोरोना से संबंधित दुःखद खबरें देख-पढ़ कर ज्यादातर लोग अवसादग्रस्त हो रहे हैं। गुस्सा, चिड़चिड़ापन की शिकायतें आ रही हैं। ऐसी दशा में कुछ लोग आत्मघाती कदम भी उठा लेते हैं और अपने पूरे परिवार को तबाह कर लेते हैं। यह सब सकारात्मक वातावरण के अभाव में हो रहा है। यदि हम सकारात्मक वातावरण में रहें और सकारात्मक वातावरण न होने

हरि बोल, हरि, हरि हरि बोल

नारी शक्ति का पूज्य उपासकबेटियों का है रखता मान।नदियों को भी माँ मानतादेवियों का करता गुणगान।।माँ भारती को नमन करताराष्ट्रभाषा का करता सम्मान।हिंदी बिंदी भारत माँ कीऐसी संस्कृति का देता ज्ञान।।वीर शहीदों के रक्त से सिंचितआजादी का पुष्पित उद्यान।राष्ट्रवीरों को नमन करतामेरा प्यारा हिंदुस्तान।।सीमा पर खड़े हैं सैनिकबहादुरी से सीना खोल,हरि बोल, हरि, हरि हरि बोल। राष्ट्रद्रोही कुछ सक्रिय हो रहेरहना उनसे सावधान।संस्कृति, धर्म की रक्षा करनाहो अपना कर्तव्य महान।।व्यभिचारी,

संस्थान संगम की ऑनलाइन काव्यगोष्ठी

कोरोना के योद्धाओं को नमन, अभिनंदन,मजदूरों की दशा पर चिंता आगरा। साहित्यिक संस्था संस्थान संगम के तत्वावधान में ऑनलाइन ऑडियो कविगोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता कोटा के वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा रामू भैया ने की। मुख्य अतिथि थे दिल्ली के कर्नल प्रवीण त्रिपाठी। गोष्ठी में अमेरिका से डॉ शशि गुप्ता सहित बैंगलोर, कोटा, ग्वालियर, दिल्ली, मेरठ, भोपाल, आगरा के 50 से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया। गोष्ठी का

पढ़ने की आदत डालें

विश्व पुस्तक दिवस पर विशेष पिछली दीवाली की बात है।फेसबुक पर किसी ने एक संदेश पोस्ट किया कि उनके परिवार में किसी का निधन हो जाने के कारण इस बार वह दीपावली नहीं मनाएंगे। उनके कुछ मित्रों ने इसे भी दीपावली का सामान्य संदेश समझा और अपनी ओर से बधाई व शुभकामनाएँ प्रेषित कर दीं। पहले पक्ष ने इस बात का बुरा नहीं माना क्योंकि वह समझ गए कि मूल

सप्ताहांत: रहिमन विपदा हू भली, जो थोरे दिन होय

महाभारत का एक प्रसंग अनायास ही स्मृति पटल पर आ गया। महाभारत की प्रचलित कथाओं में से एक के अनुसार युद्ध खत्म होने के बाद श्री कृष्ण जब द्वारिका लौटने लगे तो भारी मन से पांडव अपने परिवार के साथ भगवान कृष्ण को नगर की सीमा तक विदा करने आए। सब की आँखों में आँसू थे। भगवान एक-एक करके अपने सभी स्नेहीजनों से मिल रहे थे। अंत में अपनी बुआ

जिसकी अंटी में पैसा है उसकी होली है

आज देश के विख्यात व आगरा नगर के लब्धप्रतिष्ठ कवियों व शायरों के साथ मंच साझा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अवसर था भारतीय नाट्य कला मंच द्वारा नागरी प्रचारिणी के मानस भवन में आयोजित होली मिलन समारोह व काव्य गोष्ठी का। कार्यक्रम की अध्यक्षता की वरिष्ठ ग़ज़लकार, साहित्यकार डॉ त्रिमोहन तरल ने। मुख्य अतिथि थे प्रो. सोम ठाकुर। डॉ शशि तिवारी, अशोक रावत, राजकुमार रंजन, राजबहादुर राज, शिवशंकर शर्मा,

ताज की धवल छवि

दिवस का अवसान समीप था।गगन था कुछ लोहित हो चला।तरु-शिखा पर थी अब राजती।कमलिनी-कुल-वल्लभ की प्रभा॥ सुप्रसिद्ध साहित्य मनीषी हरिऔध जी ने यद्यपि यह पँक्तियाँ ताजमहल को लक्ष्य करके नहीं लिखीं थीं परँतु सूर्यास्त का अलौकिक वर्णन जिस प्रकार किया गया है उसके आलोक में ताज की धवल छवि का आजकल जिक्र अवश्य हो रहा है। शाम के साढ़े पाँच बजे जब दिवस का अवसान होता है, आसमान रक्ताभ लालिमा

विभूतियाँ कभी मरा नहीं करतीं

ऐसा पश्चाताप होगा, सोचा भी नहीं था। आदरणीय कैप्टन व्यास चतुर्वेदी लोटस हॉस्पिटल में भर्ती थे, कई बार चाहते हुए भी परिस्थितियाँ ऐसी रहीं कि वहाँ जाना संभव नहीं हो पाया। आज उनके घर जाने वाला था कि किसी ने कह दिया कि गुरुवार को देखने नहीं जाते, कल शुक्रवार को हर हाल में घर पर जा कर मिलने का सोच रखा था, परँतु ईश्वर को कुछ और ही मँजूर

ताज रंग महोत्सव

ताज रंग महोत्सव का 5 फरवरी को यूथ होस्टल में रंगारंग समापन हुआ। अंतिम दिन का आकर्षण रहा स्वाधीनता संग्राम सेनानी रोशनलाल गुप्त करुणेश जी की धर्मपत्नी,हमारी पूज्य माँ स्व. रामलता गुप्ता की स्मृति में 11 विदुषी महिलाओं का सम्मान। मनकामेश्वर मंदिर के महंत योगेश पुरी जी महाराज, शिक्षाविद डॉ महेश शर्मा, प्रीति उपाध्याय, नटरांजलि की निर्देशक अलका सिंह ने कला, संस्कृति, साहित्य, आध्यात्म आदि क्षेत्रों में ख्यातिप्राप्त महिलाओं को

नव वर्ष तुम आ तो रहे हो…

नव वर्ष तुम आ तो रहे होक्या क्या नया लाओगे संग,क्या बदलोगे दशा देश कीदे नई खुशियाँ और उमँग। बदलेगा पञ्चाङ्ग कलेंडरदिनांक आएगा बस नया,नया नहीं हुआ कुछ भी तोफिर कैसे नव वर्ष हो गया। चंदा सूरज वही रहेंगेतारों में वो ही टिमटिम,वही सुहाना मौसम होगावारिश होगी वही रिमझिम। पतझड़ होगा फूल खिलेंगेपुष्पित पल्लवित चमन रहेंगे,मधुमास की मादक मस्तीझूम-झूम भँवरे झूमेंगे। उसी दिशा में प्रवाहित होगीकलकल निनादिनी की धारा,मन्दिर मस्ज़िद