सप्ताहान्त – 26 मई, 2019

#उरव्यथितमनकुपितहै

सूरत में मुंबई अहमदाबाद हाइवे के निकट तक्ष शिला काम्प्लेक्स नामक एक चार मंजिला वाणिज्यिक परिसर में शुक्रवार दोपहर आग लगने की जो भयावह दुर्घटना हुई उससे मन बहुत व्यथित है। यहां चल रही कोचिंग क्लास के कम से कम 20 होनहार छात्रों की मौत हो गई। इनमें से कुछ की इमारत से कूदने की वजह से तो कुछ की दम घुटने से मृत्यु हुई। इस भीषण आग का मंजर बेहद खौफनाक था। आग लगने के बाद इमारत में फंसे कई छात्रों ने अपनी जान बचाने के लिए ऊपर से ही छलांग लगा दी। सोशल मीडिया पर बिल्डिंग से छलांग लगाते हुए लोगों का वीडियो भी वायरल हो रहा है।

इस मामले में सूरत पुलिस ने कॉम्प्लेक्स के बिल्डरों सहित तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जिसमें हरसुल वेकरिया, जिग्नेश और कोचिंग सेंटर के मालिक भार्गव भूटानी का नाम शामिल है।

आग क्यों और कैसे लगी, इस बारे में तो जांच के बाद ही पता लग पायेगा परन्तु जो सबसे खेदजनक बात रही वह थी दमकल विभाग की घोर लापरवाही। स्थानीय लोगों का आरोप है कि दमकल की गाड़ियां आग लगने के आधे घंटे बाद मौके पर पहुंचीं। देर से पहुँचने के बाद भी उनके पास जरूरी उपकरण नहीं थे, जिनके जरिये आग में फंसे बच्चों को बाहर निकाला जा सके। उस समय के कुछ वीडियो में दिखाई दे रहा है कि जिस वक्त बच्चे इमारत से छलांग लगा रहे थे, उस वक्त दमकल सामने खड़ी थीं। लेकिन उनकी सीढ़ियां ऊपरी मंजिल तक नहीं पहुंच पाईं।

दुर्घटना होने के बाद बचाव दल असहाय हो कर अपनी आंखों के सामने बच्चों को जल कर, दम घुट कर, ऊंचाई से कूद कर मरता देखता रहे, इससे बड़ा अपराध कोई हो ही नही सकता। यह केवल इस लिए है कि बचाव दल तैयारी नही करते। रिहर्सल नही करते। शिविर नही लगाते। दुर्घटनाएं तो साल में एकाध बार ही होती हैं, जब कुछ काम नही होता तब उन्हें अपने उपकरणों, सीढ़ियों आदि की जांच पड़ताल करते रहना चाहिए ताकि आपत्ति काल में उनका तुरन्त उयोग हो सके। पर ऐसा नही होता, या केवल फाइलों में ही खानापूर्ती होती है।

यह सब जानते हैं कि गर्मियों में अग्निकांड की दुर्घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हो जाती है। आगरा में इस प्रकार की कई दुर्घटनाओं के कारण काफी नुकसान हुआ है। हाल ही में एक ज्वेलरी शो रूम में ऐसा ही अग्निकांड हुआ। एक दुर्घटना में नीचे दूकान में आग लगी और ऊपर आवास तक पहुंच गई। वहां दंपत्ति अपनी वृद्धावस्था के कारण भाग नही सके और जल कर मर गए। दूसरी घटना में अपनी दिव्यांग पुत्री को बचाने के प्रयास में पिता की जान चली गई।

तात्पर्य यह है कि बचाव संस्थाओं को जितना अपने आप को तैयार रखना आवश्यक है उतना ही जरूरी है जनता के हर वर्ग को इस बारे में जागरूक करना और प्रशिक्षित करना। जगह जगह शिविर लगा कर अग्निशमन यंत्रों को चलाने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, बड़ी बड़ी बिल्डिंगों, पुराने आवासों, अस्पतालों, भीड़ भरे बाजारों आदि, जहां आग जल्दी लगने की आशंका रहती हो उनकी जांच पड़ताल और एहतियाती कदम उठाने चाहिए। एक मेरा स्वयं का अनुभव है, उसी के आधार पर निवेदन भी कि एम सी वी पर ज़्यादा भरोसा न करें, बल्कि एक स्विच ऐसा लगवा लें, जब भी कही स्पार्किंग दिखाई दे, उस स्विच को बंद करने से पूरे घर या परिसर की लाइट ऑफ हो जाये। इस स्विच की जानकारी सभी को होनी चाहिए कहां लगा है।

#स्वराज्य_टाइम्स, 26 मई, 2019

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